Saturday, April 27, 2024
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यूरोप अफ्रीका में युद्ध ही घोषणा करेगा?

क्या यूरोप अफ्रीका में युद्ध ही घोषणा करेगा? जानिए क्यों हो रहा है यूरोप-अफ्रीका के बीच में दंगल 1920 में…

By शाम्भवी मिश्रा , in दुनिया  , at August 5, 2023 Tags: , , , , ,


क्या यूरोप अफ्रीका में युद्ध ही घोषणा करेगा? जानिए क्यों हो रहा है यूरोप-अफ्रीका के बीच में दंगल

1920 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच इस बात को लेकर दौड़ चल रही थी कि दोनों में से कौन दुनिया का ज्यादा बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर सकता है। हालांकि ये दोनों देश दुनिया के अन्य देशों की तुलना में छोटे हैं लेकिन इसके बावजूद इन्होंने बहुत बड़े हिस्से को अपने कब्जे में कर लिया। इसी कारण उस वक्त ऑस्ट्रेलिया में नेटिव लोग न के बराबर बचे थे और आज यहां की अधिकतर आबादी यूरोपियन है। इन दो देशों ने पूरी दुनिया का नक्शा बदल कर रख दिया।

ब्रिटेन ने कई देशों के साथ किया था आजादी का समझौता

ब्रिटेन यानी कि यूके ने उन देशों पर कब्जा किया था, जिनकी अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी थी और जिनके ट्रेडिंग पॉइंट्स जुड़ते थे। वहीं दूसरी तरफ फ्रांस एशिया और नॉर्थ अमेरिका में अधिक सफलता हासिल नहीं कर पाया, जिसके बाद उसने अफ्रीका की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया। फ्रांस ने अमेरिका के बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया। जब ब्रिटेन ने देखा कि ताबर उसके हाथ से फिसल रही है, तब उसने संघर्ष करने के बजाय कई देशों के साथ आजादी का समझौता करना शुरू कर दिया।

नाइजर, माली, अल्जीरिया कर रहे हैं पूर्ण स्वतंत्रता की मांग

ब्रिटेन के ठीक विपरीत फ्रांस ने लंबे समय तक कोशिश की कि इनके कॉलोनी इनके कब्जे में ही रहे और उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली करेंसी भी फ्रांस की गवर्मेंट ही कंट्रोल करे। इतना ही नहीं फ्रांस उन देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर भी पहला हक अपना ही जमाना चाहता था। वर्तमान समय में नाइजर, माली, अल्जीरिया जैसे देश जो एक समय फ्रांस के कॉलोनी थे, वे अब पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं।

फ्रांस की मिलिट्री बेस को हटाने की बढ़ रही है डिमांड

इन देशों का मानना है कि फ्रांस ने इन्हें आजादी तो दे दी लेकिन फ्रांस की कई सरकारी कंपनियां यहां से फ्रांस काफी सोना, यूरेनियम और मिनरल्स ले गए। इनका इस्तेमाल कर फ्रांस ने अपना खूब विकास कर लिया है। नाइजर जैसे कई देश यह मांग कर रहे हैं कि फ्रांस की मिलिट्री बेस को इन देशों से हटा दिया जाए। यही कारण है कि नाइजर के दबाव के कारण फ्रांस के लोग नाइजर छोड़ कर भाग रहे हैं। नाइजर ने फ्रांस में एक्सपोर्ट हो रहे सोना और यूरेनियम को नाइजर से फ्रांस की तरफ जाने के रास्ते पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अफ्रीका और यूरोप के बीच होगा खतरनाक युद्ध

नाइजर में एक तानाशाही सरकार थी, जो फ्रांस के द्वारा किए गए अत्याचारों को भुलाकर एक बार फिर से उसके साथ अच्छे संबंध बनाने का प्रयास कर रही थी। इसके बाद अचानक से रसिया ने नाइजर, बुर्किनाफासो जैसे कई देशों के मिलिट्री को इनफ्लुएंस कर यह आश्वासन दिया कि यहां के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि को हटा दे और एंटी फ्रांस नैरेटिव की शुरुआत करे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि फ्रांस आगे क्या करने वाला है। हो सकता है यूक्रेन युद्ध के कारण फ्रांस कुछ समय के लिए धैर्य रखे लेकिन यह बात तो तय है कि अफ्रीका और यूरोप के बीच कुछ खतरनाक होने वाला है।

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