Saturday, April 27, 2024
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क्या अस्ट्रेलिया लौटा देगा भारत को इसरो का पार्ट या खुद कर लेगा उस पर कब्जा?

जुलाई महीने के बीच ऑस्ट्रेलिया में पर्थ के उत्तर में लगभग 250 किमी दूर ग्रीन हेड समुद्र तट पर रॉकेट…

By शाम्भवी मिश्रा , in देश , at August 2, 2023 Tags: , ,


जुलाई महीने के बीच ऑस्ट्रेलिया में पर्थ के उत्तर में लगभग 250 किमी दूर ग्रीन हेड समुद्र तट पर रॉकेट का एक बहुत बड़ा मलवा पाया गया, जिसके बाद से इसकी उत्पत्ति के बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ लोग इसे Chandrayaan-3 का मलवा बता रहे हैं तो कुछ लोग इसरो के रॉकेट का। बता दें कि यह इसरो के रॉकेट का एक हिस्सा है, जो ऑस्ट्रेलिया के महासागर में मिला है। दरअसल यह PSLV यानी Polar Satellite Launch Vehicles का एक हिस्सा है।

ऑस्ट्रेलिया में मिला मलबा है भारत के रॉकेट का हिस्सा

ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि रॉकेट का यह हिस्सा जो ऑस्ट्रेलिया में आ चुका है, वह किसी और देश का नहीं बल्कि भारत का है। दरअसल यह PSLV सिलेंडर भारत से बहते हुए ऑस्ट्रेलिया के महासागर के किनारे पहुंच गया, जो अब ऑस्ट्रेलिया स्पेस एजेंसी के पास है। यूनाइटेड नेशंस के आउटर स्पेस ट्रीटी के मुताबिक, किसी भी देश के स्पेस का कॉम्पोनेंट, यदि दूसरे देश चला जाता है, तो उसे उस कॉम्पोनेंट के मालिक देश को लौटा दिया जाएगा।

भारत के इसरो का है यह मलबा

यूनाइटेड नेशंस अपने पास पूरा आंकड़ा रखता है, जिसके अंतर्गत वह दूसरे देशों से मिलने वाले स्पेस से संबंधित कॉम्पोनेंट्स की एक सूची बनाता है। इसमें कब, कौन-सा कॉम्पोनेंट पाया गया और उसके मालिक देश को कब और कौन-सा कॉम्पोनेंट लौटाया गया है, इन सब की जानकारी मौजूद होती है। जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में पाया गया कॉम्पोनेंट भारत के इसरो का है, इसलिए यूनाइटेड नेशंस ट्रीटी के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया को इसरो की कॉम्पोनेंट लौटाने होगी लेकिन भारत ने इसे लेने से मना कर दिया है।

ऑस्ट्रेलिया ने किया अपने म्यूजियम में रखने की मांग

पीएसएलवी के मलबे को न लेने का कारण यह है कि यूनाइटेड नेशंस ट्रीटी के मुताबिक, ऐसे कंपोनेंट्स तभी लौटाए जाते हैं, जब वह मलबा रॉकेट का कोई बहुत बड़ा हिस्सा हो। पाया गया कॉम्पोनेंट पीएसएलवी के पार्ट 3 या 4 का कॉम्पोनेंट है, जिसका इस्तेमाल हो चुका है और अब इसका कोई उपयोग नहीं है। चूंकि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में इसरो के रॉकेट का यह मलबा प्राप्त हुआ है, इसलिए उनका कहना है कि यदि भारत को कोई एतराज न हो और उन्हें मौका मिले तो वह इसरो के इस कंपोनेंट को अपने म्यूजियम में रखना पसंद करेंगे।

ऑस्ट्रेलिया में पहले से मौजूद है एक और मलबा

ऑस्ट्रेलिया द्वारा किया जाने वाला यह डिमांड नया नहीं है बल्कि इस बारे में काफी कम लोग जानते हैं कि साल 1979 में नासा के Skylab station का एक हिस्सा पहले यहां मिला था, जिसे उन्होंने आज तक सुरक्षित कर रखा है। बात करें PSLV के कंपोनेंट की तो जल्द ही यह मुद्दा एक नया मोड़ लेगा और हमें आने वाले समय में पता चलेगा कि आखिर इस मलबे का क्या होगा। क्या इसे भारत स्वीकार कर लेगा या फिर ऑस्ट्रेलिया के म्यूजियम में इसे सुरक्षित रख दिया जाएगा।

 

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