राजद्रोह कानून अब बन गया धारा 150
राजद्रोह कानून अब बन गया धारा 150, सरकारी कर्मचारियों के लिए 12 दिनों के भीतर होगी सुनवाई भारत के केंद्रीय…
राजद्रोह कानून अब बन गया धारा 150, सरकारी कर्मचारियों के लिए 12 दिनों के भीतर होगी सुनवाई
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त दिन शुक्रवार को भारत में आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन बिल पास किए हैं, जिसके जरिए देश में राजद्रोह कानून को खत्म किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने औपनिवेशिक समय से चलते आ रहे देशद्रोह कानून को भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 से बदलने के प्रावधान को पेश किया है, जिसमें बिल को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इसकी मदद से सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी। निरस्त किए जाने वाले कानूनों से वह ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करने के साथ-साथ वह उन्हें मजबूती प्रदान करना चाहते हैं।
जानिए क्या है राजद्रोह कानून?
राजद्रोह कानून वह कानून है, जिसे IPC की धारा 124A के नाम से भी जाना जाता है। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति शब्दों या फिर संकेतों के माध्यम से घृणा फैलाने का प्रयत्न करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा दी जाती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जाता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति जान-बूझकर इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भीड़ या जनता को भड़काने की कोशिश करता है, तो उसे भी दंडित किया जाता है।
कम्युनिकेशन की मदद से जोड़े गए वित्तीय साधन :
नए कानून में राजद्रोह के नाम को हटाकर उसकी सजा बदल दिया गया है। हालांकि धारा 150 के तहत कुछ प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन की मदद से वित्तीय साधनों को जोड़ा गया है। पहले बिल में धारा 150 के अंतर्गत राजद्रोह की सजा में बदलाव किया गया, जिसमें पहले राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या फिर 3 साल की सजा होती थी, उसे अब बढ़कर 7 साल कर दिया गया है। इसके अलावा जिन धाराओं में 7 साल से ज्यादा की सजा दी गई है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत लेने जाएगी।
2027 तक अदालत होंगे कंप्यूटराइज्ड :
दूसरे बिल में बदलाव करते हुए यह पेश किया गया है कि 2027 से पहले भारत के सभी अदालतों को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा, जिसमें अदालत में होने वाली सभी सुनवाइयों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस को शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही इस नए कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति इस तरह के केस में गिरफ्तार किया जाता है, तो उसके परिवारजनों को सूचना दी जाएगी और उनके मामलों के जांच के लिए अलग से एक पुलिस ऑफिसर को नियुक्त किया जाएगा।
सरकारी कर्मचारी के लिए 12 दिनों के भीतर सुनवाई :
अगले कानून के मुताबिक, सभी फैसले जल्द किए जाएंगे, जिसके अंतर्गत नए कानून के अनुसार जो 3 साल तक की सजा है, उसमें समरी ट्रायल किया जाएगा। इसके अंतर्गत ऐसे मामलों में चार्ज फ्रेम होने के 30 दिनों के भीतर ही न्यायाधीश अपना फैसला दे देंगे लेकिन केस यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ होगी, तो उस पर सुनवाई 12 दिनों के भीतर ही कर दी जाएगी और दोषी के सम्पूर्ण संपत्ति पर कुर्क करने का आदेश इसमें पुलिस नहीं बल्कि कोर्ट देगी।
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