टैक्स ने आम जनता का कर दिया है जीना हराम
टैक्स ने आम जनता का कर दिया है जीना हराम, जानें क्या होता है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स? वर्तमान समय…
टैक्स ने आम जनता का कर दिया है जीना हराम, जानें क्या होता है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स?
वर्तमान समय में कर देना साधारण-सी बात है लेकिन कई लोग इससे अभी भी अपरिचित हैं। बता दें कर एक पुरानी अर्थव्यवस्था है, जिसका विवरण कौटिल्य के अर्थशास्त्र और मनुस्मृति में भी मिलता है। दरअसल कर लंबे समय से सरकार की कमाई का जरिया रहा है। चाहे वह राजतंत्र हो या फिर तानाशाह, कुलीन जनसमुदाय हो या लोकतंत्र राज्य, इन सभी जगह पर कर का जिक्र किया गया है। यहां तक कि कालिदास के रघुवंश में भी कर के बारे में जानकारी दी गई है।
कमाई के अनुसार भरना पड़ता है टैक्स :
आधुनिक समय के नजरिए से कर दो प्रकार के होते हैं, जिनमें प्रोग्रेसिव यानी तरक्की करने वाला और रेग्रेसिव यानी प्रतिगामी कर शामिल है। भारत के कर का प्रकार प्रोग्रेसिव है, जिसका अर्थ है कि यदि आप ज्यादा कमाई करते हैं तो आपको अधिक कर देनी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर रेग्रेसिव कर का मतलब है कि कोई अमीर या गरीब नहीं है बल्कि सभी को एक समान टैक्स भरना पड़ता है। उदाहरण के लिए आइए GST को विस्तार से समझते हैं।
डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के बारे में जानें :
डायरेक्ट टैक्स, ऐसी टैक्स होती है जो सरकार हमसे सीधे लेती है, जिसमें इनकम कर, कॉरपोरेशन टैक्स और कैपिटल गैन टैक्स शामिल हैं अर्थात जो जितना कमाएगा, वह उतना इंटेक्स भरेगा और सरकार में इनकी रेवेन्यू में भागीदारी 51.5 % की होगी। इनडायरेक्ट टैक्स में GST के लागू होने के बाद सभी कर को मिला दिया गया लेकिन एक्साइज ड्यूटी और कस्टम ड्यूटी अभी भी मौजूद है। इनका गवर्नमेंट के रेवेन्यू में भागीदारी 48.5% का है, जिसका मतलब यह है कि गवर्नमेंट के रेवेन्यू में सबसे ज्यादा भागीदारी रेग्रेसिव कर की ही है।
अमेरिकन सरकार टैक्स के बदले देती है सुविधाएं :
भारत में डायरेक्ट कर देने वाले केवल 25% हैं लेकिन वहीं अमेरिका जैसे देशों में डायरेक्ट कर वाले लोग 60% से भी ऊपर हैं क्योंकि अमेरिकन सरकार उनके कर के बदले उन्हें कई सुविधाएं मुफ्त में भी देती है लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता है। इसलिए यहां ज्यादातर लोग कर देने से बचते हैं। भारत में किसानों के लिए सभी कर माफ किए गए हैं लेकिन यहां कुछ ऐसे भी किसान हैं जो साल के करोड़ों रुपए कमाते हैं लेकिन फिर भी टैक्स देने से बचते हैं। इसी कारण आम आदमियों पर टैक्स देने का बोझ बढ़ जाता है।
मिडिल क्लास वालों के लिए बन गई है परेशानी :
भारत में मिडिल क्लास लोगों के लिए कर देना एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। यहां फ्लैट कर 40% का है यानी यदि कोई व्यक्ति महीने का 5 लाख कमाता है तो उसमें से 40% फ्लैट टिकट कर केवल 3 लाख उसके पास बचता है, जिससे उसे अपने खर्चों को चलाना है। यह मिडिल क्लास वालों के लिए परेशानी का कारण बन चुका है। इसलिए सरकार अभी प्रोग्रेसिव कर को अपनाने की कोशिश कर रही है। इससे मिडिल क्लास वालों के लिए भी टैक्स भरना आसान हो जाएगा।
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