Monday, April 29, 2024
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वक्फ बोर्ड का एक फैसला अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ ?

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मांगा आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब, वक्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को बताया काफिर आंध्र प्रदेश के…

By शाम्भवी मिश्रा , in देश , at July 24, 2023 Tags:


अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मांगा आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब, वक्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को बताया काफिर

आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम समाज से बेदखल करते हुए उन्हें नॉन मुस्लिम और काफिर बताया है। इस पूरे मुद्दे को अपने संज्ञान में लेते हुए सेंट्रल ग्वारमेंट ने आंध्र प्रदेश सरकार वक्फ बोर्ड को फटकर लगाई है,इसके साथ ही केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भी आंध्र प्रदेश सरकार के वक्फ बोर्ड से उनके निर्णय पर जवाब की मांग की है।

बता दें की अहमदिया समुदाय के लगभग दो करोड़ लोग पूरे दुनिया में रहते हैं और इस समुदाय को आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने गैरमुस्लमान कहते हुए इसे इस्लाम से खारिज करार दिया है। अभी तक केवल पाकिस्तान में ही इस समुदाय के मुसलमानों को पहचान संबंधित संकट का सामना करना पड़ता था लेकिन अब भारत में भी अहमदिया समुदाय के लोगों पर धार्मिक पहचान का संकट लगातार बना हुआ है।

कौन हैं अहमदिया मुसलमान

अहमदिया मुसलमानों पर हो रहे इस तरह के भेद भाव का कारण उसकी धार्मिक आस्था रही है। अहमदिया आंदोलन 19वीं सदी के अंत में भारत में शुरू हुआ था, बता दें कि इसे शुरू करने वाले मिर्जा गुलाम अहमद थे और यह एक धार्मिक आंदोलन था । अहमदिया आंदोलन को शुरू करने वाले मिर्जा गुलाम अहमद का समर्थन करने वाले या उनके अनुयायी मुसलमानों को ही अहमदिया मुसलमान कहा गया। अहमदिया मुसलमानों का समुदाय यह मानता था की पैगंबर मोहम्मद के बाद गुलाम अहमद पैगंबर के अंतिम दूत हैं जिन्हें खुदा ने खुद भेजा है, जबकि इसके विपरीत इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद को ही अल्लाह का भेजा हुआ आखरी पैगंबर माना गया जाता है। यही वैचारिक मतभेद और धार्मिक आस्था के कारण अहमदिया समुदाय को इस्लाम धर्म से अलग संप्रदाय के रूप में देखा जाता है और इसीलिए अहमदिया समुदाय के लोगों को काफिर या गैर मुसलमान कहा जाता है।

यह है पूरा मामला

दरअसल बीते 20 जुलाई को अहमदिया मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अहसन गौरी ने केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय को एक शिकायत पत्र प्रेषित किया है। इस शिकायत पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है की, आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने जमैतुल उलेमा के फतवे को आधार मानते हुए उनके अहमदिया समाज को मुसलमान समुदाय और इस्लाम से बाहर करने का आदेश सुना दिया है। इस शिकायत पत्र में अहसन गौरी ने यह बताया है की इस साल 3 फरवरी को अहमदिया मुस्लिम समुदाय को आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा जमैतुल उलेमा के फतवे के आधार पर गैर मुस्लिम होने का निर्णय जारी कर दिया है।

केंद्र सरकार ने लगाई फटकर

आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के इस रवैए को गैर कानूनी बताते हुए केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश Waqf board को कड़े शब्दों में फटकारा है। इसके तहत केंद्र सरकार के अल्प संख्यक मंत्रालय आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और इस पत्र में उन्होंने यह साफ तौर पर स्पष्ट किया है की आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड किसी भी मुस्लिम समुदाय को इस्लाम से बाहर करने या गैर मुसलमान होने का फतवा जारी करने का अधिकार नहीं रखता है। साथ उन्होंने इस बात का जवाब भी मांगा है की वक्फ बोर्ड किस तरह किसी भी सोशल ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा जारी किए गए फतवे पर सरकार की मुहर को लगा सकते हैं?

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया है की देश के किसी भी राज्य के वक्फ बोर्ड के पास यह अधिकार नहीं है की वह अहमदिया संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों को गैर मुस्लिम या काफिर कहे। और इसके साथ की उनके मस्जिदों को भी वक्फ बोर्ड से अलग प्रॉपर्टी के तौर पर घोषित नही किया जा सकता है।

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